स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज,  सुधांशु जी महाराज और संत मुरलीधर जी महाराज की 

 


 


ऋषिकेश, 13 नवम्बर। परमार्थ निकेतन में विश्व जागृति मंच के श्री सुधांशु जी महाराज, प्रसिद्ध श्रीराम कथाकार संत श्री मुरलीधर जी महाराज पधारे उन्होेने परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज से भेंटवार्ता की।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने दोनों पूज्य संतों से कथाकार सोशल रिस्पांसिबिलिटी के तहत दिव्य कथाओं के मंच से पर्यावरण के प्रति लोगों जागृत करने हेतु अभियान चलाने पर विशेष चर्चा की। साथ ही पराली से प्रदूषण नहीं बल्कि एग्री बोर्ड के माध्यम से प्रत्येक परिवार का अपना घर हो सपना साकार करना, पी लो पानी, हैंडवाशिंग, जियो ट्यूब तकनीक जैसी अनेक तकनीक का उपयोग कर हम अपनी नदियों और पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचा सकते है।
 स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने पराली जलाने से बढ़ते वायु प्रदूषण पर चिंता व्यक्त करते हुये पराली सेे ईको फे्रंडली घर बनाने, जियो ट्यूब तकनीक को गंगा और यमुना नदी में गिरने वाले नालों पर लागू करने, जिस प्रकार लखनऊ का कुकरैल नाला, ऋषिकेश का चन्द्रभागा नाला और प्रयागराज में संगम में गिरने वाले नालों के जल को स्वच्छ जल में परिवर्तित करने हेतु लगायी गयी है। इस तकनीक का जिक्र परमार्थ निकेतन शिविर प्रयागराज में भारत के राष्ट्रपति महामहिम श्री रामनाथ कोविंद जी आये थे उस दिन उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी ने भी किया था। स्वामी जी महाराज ने कहा कि गंगा और यमुना में गिरने वाले नाले चाहे वह कहीं के भी हो उन सभी का समाधान निकाला जा सकता है। सभी को स्वच्छ जल उपलब्ध होता रहे इस हेतु जल को स्वच्छ और पीने योग्य करने वाली ''पी लो पानी'' ''हैंडवाशिग स्टेशन'' को धार्मिक और ऐतिहासिक स्थानों पर लगाने हेतु चर्चा की।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा कि ''दिल्ली, पंजाब और हरियाणा में पराली को जलाने की समस्या विकराल है उसका समाधान निकालना जरूरी है। पराली से होने वाले प्रदूषण को काफी हद तक कम किया जा सकता है, हम इस ओर कार्य कर रहे है। एग्री बोर्ड के माध्यम से पांच से सात दिनों में एक सुन्दर मकान तैयार किया जा सकता है जो कि वाटरप्रूफ होता है, साथ ही ये बोर्ड लगभग 1100 सेल्सियस तक तापमान सहन कर सकते है, कीड़े और दीमक का खतरा भी नहीं रहता तथा इससे बने घरों का तापमान भी बाहर के मुकाबले कम रहता है।
स्वामी जी ने जानकारी दी, पराली से बोर्ड भारत में ही तैयार किये जा रहे है इनसे महज तीन लाख रूपये में 300 वर्गफीट का मकान तैयार किया जा सकता है। पराली का उपयोग कर हम वायु प्रदूषण को कम करने के साथ स्लम एरिया और झुग्गी-झोपड़ी वाले स्थानों पर सुन्दर मकान बना सकते है। जिससे भारत के यशस्वी और ऊर्जावान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का ''हर परिवार का अपना घर हो'' का सपना भी पूरा किया जा सकता है। पर्यावरण और जल संरक्षण के प्रोजेक्ट को कथाकार अपने कथा के मंच से प्रसारित करे तो इसके बेहतर परिणाम प्राप्त किये जा सकते है।
श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि पर्यावरण, वायु प्रदूषण और जल की समस्या वास्तव में विकराल होते जा रही है इस का हल न निकाला गया तो हमें शहरों में शुद्ध जल की तरह शुद्ध वायु के सेेन्टर भी खोलने पड़ सकते है।
श्री मुरलीधर जी महाराज ने कहा कि स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज से मार्गदर्शन प्राप्त कर हमने अपनी कथाओं को पर्यावरण संरक्षण हेतु समर्पित कर दिया है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज, श्री सुधांशु जी महाराज और संत मुरलीधर जी महाराज ने विश्व शान्ति और शुद्ध जल की आपूर्ति हेतु की वाटॅर ब्लेसिंग सेरेमनी कर स्वच्छ, सुन्दर और समृद्ध विश्व के निर्माण हेतु प्रार्थना की। दोनों पूज्य संतों को परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमारों ने वेद मंत्रों के उच्चारण के साथ वंदन कर विदाई दी। प्रतिवर्ष की भांति 16 मई से 15 जून 2020 को परमार्थ गंगा तट पर मुरलीधर जी महाराज के मुखारबिन्द से श्रीराम कथा का अमृत प्रवाहित होगा इसकी घोषणा की, यह कथा पर्यावरण को समर्पित की गयी है।