कोरोना का अंत निश्चित ,भय छोड़ सतर्क रहें 


लालापुर (प्रयागराज)।गुरुदेव श्रीमाली  'आज विश्व में सिर्फ कोरोना की चर्चा चल रही है चारों और भय का वातावरण है आप भी अपने मन ही मन बहुत घबरा रहे हैं । आशंका और भय आपको सताए जा रही है । बता दें कि दुर्गा सप्तशती के आठवें अध्याय में रक्तबीज नामक एक राक्षस का वर्णन आता है । रक्तबीज की एक बूंद जब धरती पर गिरती थी तो उसी के समान एक और राक्षस खड़ा हो जाता था।  तब आध्या शक्ति ने भगवती महाकाली को कहा कि इसकी एक भी बूंद को जमीन पर मत गिरने दो । दैत्य के रक्त की बूंद जमीन पर गिरने से पहले ही समाप्त कर दो । आज के समय में यह बात बड़ी सार्थक हैं । जहाँ भी कोरोना का संकट उत्पन्न हो , थोड़ा सा भी प्रकट हो उसे उसी स्थान पर रोक देना है। इस हेतु भारत सरकार व राज्य सरकार प्रशासन द्वारा जो भी निर्देश दिए गए उनका पूरा पूरा अनुपालन करना है। कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए हमें प्रशासन का पूरा सहयोग करना है ।  ईश्वरी शक्ति द्वारा , प्रयासों द्वारा , हमारी इच्छा शक्ति द्वारा इस महामारी का अंत जरूर होगा ।भारतीय वैदिक संस्कृत के संवाहक अंतर्राष्ट्रीय सिद्धाश्रम साधक परिवार के पूज्य गुरु देव एवं आध्यात्मिक मासिक पत्रिका निखिल मंत्र विज्ञान के संपादक गुरुदेव नंदकिशोर श्रीमाली ने अपने शिष्यों को जारी एक वीडियो संदेश में उक्त बातें कहीं ।  गुरुदेव ने कहा कि , यह सृष्टि  करोड़ों वर्षों से चल रही है ,करोड़ों वर्षों तक चलती रहेगी , यही सत्य है। हुआ क्या है कि कोरोना के कारण लोगों के मन में भय व्याप्त हो गया है। 
कथा के माध्यम से भय मुक्ति का आह्वान उन्होंने एक छोटी सी
 कथा की चर्चा करते हुए कहा कि  महामारी ने भैरव से कहा कि आपको लिस्ट देती हूं जिन लोगों का समय आ गया है मुझे उन्हें लेकर जाना है हिसाब देखकर भैरव ने उसे नगर में जाने दिया कहा ठीक है, तुम जाओ, लेकिन जो असक्त और वृद्ध हो चुके हैं उन्हें ही साथ लेकर जाना । महामारी ने उन्हें यही विश्वास दिलाया और फिर भैरव ने उसे नगर में प्रवेश की इजाजत दे दी। कुछ दिन बाद महामारी नगर द्वार पर वापस खड़ी थी । उसके साथ उतने ही असत्क व वृद्ध खड़े थे , जिसकी उसने जाते समय भैरव को लिस्ट दी थी । भैरव संतुष्ट हो गए और उसे जाने के लिए कह दिया। लेकिन, उसी समय उन्होंने देखा कि एक और विशाल भीड़ उसके साथ जाने के लिए खड़ी थी । भैरव ने पूछा महामारी यह कौन है इतने सारे लोगों को अपने साथ क्यों  ले जा रही हो , तुमने तो कुछ और ही हिसाब दिया था।  महामारी  ने कहा  - मैं इन्हें ले जाने थोड़ी ही आयी हूँ । यह तो भयवश ही मेरे साथ चल रहे हैं। क्या आज ऐसी ही स्थित नहीं हो गई है सब भयभीत हो रहे  हैं । चारों ओर अनिश्चिन्तता की पराकाष्ठा है , वायरस का डर व्यापार का डर , नौकरी का डर ,परिवार के भविष्य का डर है । कहीं शरीर में थोड़ा भी दर्द होता है तो आपको लगता है कोरोना तो नही हैं । ऐसा मत करिए भय से मुक्त होना है । 
मन व शरीर से रहें स्वस्थ 
आप मन से स्वस्थ रहिए कुछ काम आपको करना है सबसे पहले आपको शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना है । समय पर सादा सात्विक भोजन करना है घर पर ही रहना हैं। और यदि किसी आवश्यक कार्य से बाहर जाना हो तो अपने नाक को कपड़े से या मास्क से ढक कर रखें  और बाहर जाकर भी सोशल डिस्टेंस बनाकर रखें । अपने हाथों को नियमित रूप से साबुन से बार-बार साफ करें अब आप बाहर टहलने के लिए नहीं जा पा रहे हैं तो क्या करें  घर पर ही जो भी थोड़ा बहुत आपको आता है ध्यान करें अपने शरीर को चैतन्य रखे और बड़े ही आनंद के साथ ईश्वरीय प्रार्थना में कहे -अब सौंप दिया है जीवन का सब भार तुम्हारे हाथों में है जीत तुम्हारे हाथों में और हार तुम्हारे हाथों में ।आप अपने भीतर उतरें आपके भीतर भी उतना ही बड़ा ब्रह्मांड है, संसार है । ध्यान रहे मंत्र जप करें साधना   संपन्न करें।